अनुच्छेद 14
“विधि के समक्ष समता का अधिकार” अनुच्छेद 14 के अंतर्गत दिया अधिकार सभी व्यक्तियों (भारतीय नागरिक या विदेशी) को प्रदान किए गए हैं यह व्यवस्था की गई है कि भारत के राज्य क्षेत्र में राज्य किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता तथा विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा इसका अर्थ यह है कि “समान परिस्थिति वाले हर व्यक्ति के साथ समान व्यवहार किया जाएगा अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान कानूनो को लागू किया जाएगा।
अनुच्छेद 15
अनुच्छेद 15(1) सुनिश्चित करता है कि राज्य किसी नागरिक के साथ जाति, धर्म, जन्म स्थान, लिंग, मूलवंश के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
अनुच्छेद 15 (2) सुनिश्चित करता है कि जाति, धर्म, जन्म स्थान, लिंग, मूलवंश के आधार पर किसी भी व्यक्ति को दुकानों, सार्वजनिक होटलो, सार्वजनिक मनोरंजन केंद्र, सार्वजनिक कुओ, तालाबो, नदियो इत्यादि, सार्वजनिक सेवाओ ट्रेन, बस, अस्पताल इत्यादि के उपयोग से वंचित नहीं किया जा सकता। अनुच्छेद 15 (2) राज्य व जनता को सामाजिक भेदभाव से रोकता है।
अनुच्छेद 15 (3) राज्य को महिलाओ व बच्चो के लिए विशेष कानून बनाने या कार्यक्रम चलाने की शक्ति प्रदान करता है इसी आधार पर राज्य महिलाओ व बच्चो के लिए विशेष कार्यक्रम चलाता है।
अनुच्छेद 15 (4) में सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गो के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) व अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद 15 (5) के अनुसार राज्य सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो तथा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए शिक्षण संस्थानो में प्रवेश के लिए व्यवस्था करेगा।
अनुच्छेद 16
अनुच्छेद 16 (1) के अनुसार राज्य के अधीन किसी पद पर नियुक्ति के लिए सभी नागरिकों को समान अवसर की समानता होगी।
अनुच्छेद 16 (2) के अनुसार राज्य के अधीन किसी पद की नियुक्तियों में धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, निवास के आधार पर कोई भी नागरिक अपात्र नहीं होगा और न उससे विभेद किया जाएगा।
अनुच्छेद 16 (3) संसद को शक्ति प्रदान करता है कि वह कानून बना कर सरकारी सेवाओ की नियुक्ति में उस राज्य में निवास की शर्त जोड़ सकता है।
अनुच्छेद 16 (4) राज्य को सरकारी नियुक्तियों में पिछड़े वर्ग के लिए पदो में आरक्षण की शक्ति प्रदान करता है।
अनुच्छेद 17
राज्य सार्वजनिक पूजा स्थल, दार्शनिक स्थल, सार्वजनिक मनोरंजन स्थल, अस्पताल, शैक्षिक संस्थान आदि पर किसी भी तरह की छुआछूत का अंत करेगा।
अनुच्छेद 18
अनुच्छेद 18 द्वारा ज़मीदार, राजा, महाराजा इत्यादि जैसी समस्त उपाधियों का अंत कर दिया गया है। अब सरकार द्वारा भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री व परमवीर चक्र जैसी उपाधियाँ दी जाती हैं।
Author
एडवोकेट आफताब फाजिल
बहुत बढ़िया, कानून की जानकारी देने के लिए।
अगर लोगो को कानून की जानकारी हो जाए, क्राइम अपने आप कम हो जाएगा।
शुक्रिया