संविधान की प्रस्तावना

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते ।

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य AIR 1973 SC 1461 के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना, संविधान का हिस्सा है, जिसका अर्थ यह है कि इसे संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधित किया जा सकता है। लेकिन ऐसे संशोधन से संविधान का मूलभूत ढांचा बदला नहीं जा सकता है।

संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा माना जाता है, संविधान की प्रस्तावना को समझने के लिए हम प्रस्तावना में दिए गए शब्दो का अर्थ समझेंगे।

Sovereign: संप्रभु यानी ऐसा देश जो किसी दूसरे के प्रभाव से मुक्त है. अपने सभी फैसले लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है, और उस पर किसी बाहरी शक्ति का कोई प्रभाव नहीं होगा।

Socialist: समाजवादी ये शब्द 1976 में 42वें संशोधन के बाद जोड़ा गया. समाजवाद एक विचारधारा है जो ये मानती है कि समाज में सभी लोगों तक संपन्नता का हिस्सा पहुंचना चाहिए. धन-सम्पत्ति भी समाज से ही उपजती है. तो उसका बंटवारा भी शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीकों से लोगों के बीच होना चाहिए. लोकतांत्रिक समाजवाद की ये विचारधारा कहती है कि धन समाज के कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए. उत्पादन के साधनों पर लोगों का मिला-जुला मालिकाना हक़ होना चाहिए।

Secular: धर्म-निरपेक्ष यानी भारत देश का अपना कोई धर्म नहीं है यहां पर सरकार और धार्मिक समूहों के बीच कोई भी संबंध यहां के संविधान और कानून के हिसाब से तय होता है. देश के हर नागरिक को अपना धर्म मानने, उसे अपनाने, और उसका प्रचार करने का हक़ है. किसी के साथ उसके धर्म के आधार पर भेदभाव करना गैरकानूनी है. ये शब्द भी 42वें संशोधन में जोड़ा गया था।

Democratic: लोकतांत्रिक भारत देश की जनता अपने प्रतिनिधि वोट के माध्यम से खुद चुनती है. जनता द्वारा जनता का प्रतिनिधि चुना जाता है।

Republic: गणराज्य यानी जनता द्वारा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया व्यक्ति ही उसका प्रमुख होगा. ये पद वंशानुगत नहीं होगा।

Justice: न्याय भारत का संविधान सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक स्तर पर न्याय देने का वादा करता है।

Liberty: स्वतंत्रता अपने विचारों को व्यक्त करने की, अपना धर्म चुनने की, अपने लिए नौकरी चुनने की, अपने प्रतिनिधि चुनने की, अपने और समाज की बेहतरी के लिए विकल्प चुनने की स्वतंत्रता।

Equality: बराबरी यानी समता धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर लोगों के बीच राज्य की तरफ से कोई भेदभाव नहीं होगा. संविधान की नज़र में सब बराबर हैं। Fraternity: भाईचारा/बंधुत्व. सभी नागरिकों के बीच आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना।

एडवोकेट आफताब फाजिल

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