जब पति या पत्नी दोनों में से कोई एक पक्ष तलाक (Divorce) लेना चाहता है लेकिन दूसरे पक्ष का इरादा तलाक (Divorce) देने का नहीं है ऐसी स्थिति में जबकि दूसरा तलाक (Divorce) देना या लेना चाहता है तो इसे एकतरफा तलाक कहा जाता है तलाक (Divorce) का ऑर्डर लेने के लिए एक पक्ष को किसी एडवोकेट की मदद से अदालत में केस दायर करना पड़ता है ।
हिन्दू धर्म में विवाह को सात जन्मो का बंधन माना जाता है लेकिन कभी कभी कुछ कारणो से ऐसे हालात हो जाते हैं कि एक दूसरे के साथ जीवन बिताना असंभव हो जाता है व पति और पत्नी अपने अलग-अलग रास्ते चुनने को मजबूर हो जाते हैं । जब दोनों मे से कोई एक पक्ष तलाक (Divorce) के लिए सहमत न हो तो ऐसे में दूसरे पक्ष को एकतरफा तलाक (Divorce) लेने के लिए अदालत का रुख करना पड़ता है, इस लेख मैं आज आपको एकतरफा तलाक (Divorce) के आधारो के बारे में बताने जा रहा हूँ अदालत के ज़रिए एकतरफा तलाक (Divorce) के लिए नीचे दिये जा रहे आधारो में से कोई एक आधार होना ज़रूरी है ।
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एकतरफा तलाक के आधार (Ground Of Divorce)
व्यभिचार
तलाक (Divorce) लेने के लिए सबसे जरूरी होता है कि आखिर किस आधार पर तलाक (Ground of Divorce) दिया जाएगा। तलाक (Divorce) लेने में सबसे बड़ा आधार यह होता है तब पति या पत्नी में से कोई भी एक शादी के बाहर किसी अन्य के साथ अपनी इच्छा से यौन संबंध बनाता है। अगर ऐसी स्थिति है, तो अदालत में आपसी सहमति के बिना भी केस दायर किया जा सकता है परंतु किसी के चरित्र पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त सबूत होने चाहिए । इस तरह से व्यभिचार को साबित करने के लिए तलाक (Divorce) का केस करने वाले को सबूत देने चाहिए।
क्रूरता
शादी के बाद अगर किसी पक्ष के साथ शारीरिक या मानसिक क्रूरता की जाती है तो इस वजह से तलाक (Divorce) हो सकता है क्रूरता शारीरिक या मानसिक क्रूरता हो सकती है । खाना न खाने देना, अपशब्दों का प्रयोग, घर से बाहर न जाने देना, बात करने से रोकना, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना जैसे कई कारणों को क्रूरता माना जाता है ।
धर्म परिवर्तन
धर्म परिवर्तन के आधार पर भी तलाक (Divorce) दिया जा सकता है अगर पति या पत्नी में से किसी एक ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है तो ऐसी स्थिति में भी तलाक (Divorce) हो सकता है।
मानसिक विकार
अगर पति या पत्नी में से कोई भी मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं व मानसिक बीमारी के कारण शादी में आवश्यक सामान्य कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं तो ऐसी स्थिति में भी में तलाक (Divorce) के लिए अदालत में केस डाला जा सकता है मानसिक रोग के मामलों को अदालत तत्काल संज्ञान लेती है ।
अलगाव
शादी होने के बाद पति और पत्नी एक दूसरे के साथ दो साल से ही नहीं रहे हो तो ऐसी स्थिति में भी तलाक (Divorce) के लिए सहमति की आवश्यकता नहीं होती है इस आधार आसानी के साथ में तलाक (Divorce) दिया जा सकता है ।
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यौन रोग
पति या पत्नी में से कोई भी एक व्यक्ति यौन रोगों एचआईवी / एड्स का शिकार है व अगर यौन संबंध बनाने से यह रोग दूसरे को भी हो सकता है तो ऐसी स्थिति में दूसरा पक्ष तलाक (Divorce) लेने के लिए अदालत जा सकता है अदालत ऐसे मामले में तत्काल कार्रवाई करता है ।
मौत का अनुमान
अगर पति या पत्नी में से कोई भी एक सात सालों से लापता है व अगर पति या पत्नी को कम से कम सात साल की अवधि तक जीवित रहने के बारे में नहीं सुना गया है व जब लापता जीवनसाथी के बारे में पिछले सात से कोई सूचना न मिल रही हो तो ऐसी स्थिति में अदालत में तलाक (Divorce) की अर्जी डाली जा सकता है ।
संसार का त्याग
यदि पति या पत्नी अपने विवाहित जीवन को त्याग देते हैं और संन्यास ले लेते हैं तो दूसरा पक्ष तलाक (Divorce) ले सकता है ।
Author:
एडवोकेट आफताब फाजिल
मोबाइल न० 9015181526
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